विधि- सर्वप्रथम कांस्य धातु से निर्मित एक पात्र को लेकर उसे राख गोमय आदि से शुद्ध करें, तदुपरान्त उसमें भोजपत्र रखकर जाति वृक्ष की लकड़ी की कलम बनाकर, गोरोचन तथा चंदन से उक्त यंत्र को लिखें।
उक्त यंत्र में जहां “देवदत्त” लिखा है, वहां साध्य व्यक्ति का नाम लिखना चाहिए। यंत्र निर्माण के पश्चात् उसका मालती, चमेली, श्वेत कमल आदि सुगंधित-द्रव्यों तथा श्वेत पुष्पों से विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए। इस प्रकार सात दिन तक पूजन के उपरांत त्रिलोह के ताबीज में बंद कर गले में धारण करें। इस “महामोहन”नाम यंत्र के धारण करने वाली स्त्री अथवा पुरूष के समक्ष व्यक्ति सेवक की भांति वशीभूत हो जाते हैं। इस अत्यंत चमत्कारी यंत्र है। ताबीज को प्राप्त करने के लिए सीधे
ही लेखक से सम्पर्क स्थापित किया जा सकता है।
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