वशीकरण भारत की प्राचीनतम और सर्वश्रेष्ठ तंत्र क्रिया है। यह एक ऐसी अद्भुद तंत्र साधना है जिसके द्वारा आप इक्षित स्त्री या पुरुष के व्यवहार, चाल-ढाल, पसंद-नापसंद को अपने अनुसार बना सकते हैं। वशीकरण क्रिया का परिणाम स्थायी और अस्थाई दोनों प्रकार का होता है। आदिम युग से लेकर आज के वैज्ञानिक युग में भी वशीकरण विद्या की विशेषता में कोई कमी नहीं आई। इसकी मान्यता सारे संसार में दिन – प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। प्राचीनकाल में इस विद्या कोई ‘प्राण विद्या’ या ‘त्रिकाल विद्या’ के नाम से जाना जाता था। यह विद्या अपने आप में संसार की सबसे चमत्कारी विद्या है। यदि हम अपने प्राचीन इतिहास की ओर नजर डालें तो यह बात बड़ी आसानी से स्पष्ट हो जाती है की हमारे प्राचीन ऋषि, मुनि, योगी आदि अपनी तपस्या और इक्षा शक्ति के बलबूते पर समस्त संसार को अपनी ओर आकर्षित करते रहें। वह अपनी साधना – विद्या के बल पर ऐसे – ऐसे कारनामों को अंजाम देते थे जिनके विषय अभी तक पहुँच भी नहीं पाया। हमारे विद्वान वशीकरण विशेषज्ञ आचार्या नारायण शास्त्री जी वशीकरण दावरा विश्व भर में लोगों की विभिन्न समस्याओं का समाधान करने के लिए विख्यात हैं।

वशीकरण का प्रयोग कबसे आरंभ हुआ?

प्राचीनकाल से ही वशीकरण का उपयोग होता आ रहा है। इसका जन्म कहाँ से हुआ यह बात शायद ही कोई जानता हो। हिन्दू शास्त्रों में वशीकरण  विद्या की बात आज से हजारों वर्ष पूर्व कही गयी थी और इसके प्रमाण हमें आज भी मिलते हैं। यदि वास्तव में देखा जाए तो वशीकरण विद्या का इतिहास उतना ही प्राचीन है जितना यह संसार। वैदिक काल में ऋषियों के प्राचीन आश्रमों में वशीकरण विद्या पराकाष्ठा पर थी।

क्या लाभ होता है वशीकरण से?

हमारे जीवन में वशीकरण के अनेकों लाभ हैं । आए दिन हम विभिन्न समस्याओं से जूझते हैं जिनमे रिश्तों की समस्या सबसे अधिक कष्टकारी होती है। इसीलिए वशीकरण को एक ऐसा तांत्रिक अस्त्र माना गया है जिससे आप जटिल से जटिल रिस्तों की समस्या का उपाय कर सकते हैं ।  वशीकरण एक ऐसी तांत्रिक क्रिया है जो आपके जीवन में आने वाली रिश्तों से जुड़ी किसी भी समस्या का जड़ से समाधान कर सकती है। जी हाँ, वशीकरण मंत्र और टोटकों में इतनी शक्ति है की वह बिगड़े रिश्तों को सँवारने और बने रिश्तों को और प्रगाड़ करने में निःसन्देह कारगर होता है। रिश्तों की समस्या चाहे प्रेम से जुड़ी हो, विवाह से जुड़ी हो या व्यापार-व्यवसाय से जुड़ी हो, हर समस्या का समाधान आप वशीकरण द्वारा प्राप्त कर सकते हैं।

वशीकरण सिद्धि कैसे प्राप्त करें?

हमें जो वशीकरण सिद्धि चाहिए, सबसे पहले उसके गुणों का विश्लेषण करना चाहिए, फिर उसी के अनुसार मंत्र, हवन, पूजा – सामग्री आदि का चयन किया जाता है। इन सब वस्तुनोन का चयन देवी – देवताओं के अनुसार किया जाता है। वशीकरण में जिन समिधाओं एवं सामग्रियों के चुनाव में भी भाव पर ध्यान दिया जाता है।

मंत्र – तंत्र ग्रन्थों में षट्कर्मों के विषय में विवरण प्रपट होते हैं। इन षट्कर्मों में वशीकरण का मुख्य स्थान है। वशीकरण क्रिया द्वारा साध्य व्यक्ति को वशीभूत कर, उससे अपनी इक्षानुसार कार्य कराया जा सकता है, जो इस कर्म की सबसे बड़ी विशेषता है। वास्तव में तंत्र – विद्या में वशीकरण वह मुख्य विधि है, इसके द्वारा देवी – देवताओं या यक्षिणी, किन्नर, भूत – प्रेत आदि का आहवाहन किया जाता है। इस विद्या का एक रूप प्रकृति को बांधने में भी प्रयुक्त किया जाता है। तंत्र की किसी भी साधना को आरंभ करने से पूर्व साधक को कुछ निश्चित नियमों का पालन करना पड़ता है l बिना इंका पालन किए सफलता मिलने में संदिग्धता रहती है।

तंत्र में वशीकरण की कुछ ऐसी क्रियाएँ हैं, जिनमें केवल मंत्रों को सिद्ध किया जाता है। मंत्र सिद्ध होने पर साधारण क्रियाओं द्वारा मंत्र पढ़कर ईष्ट का लक्ष्य करने से उसका वशीकरण हो जाता है। इस वशीकरण से पशु तक भी प्रभावित हुये बिना नहीं रहते हैं l मंत्र का एक निश्चित संख्या में जप करने से शब्दों में पारस्परिक घर्षण के कारण वातावरण में एक प्रकार की विद्युत तरंगे उत्पन्न होने लगती हैं, जिससे साधक की इक्षाओं, भावनाओं को शक्ति प्रपट होती है। फिर वही होता है जो वह चाहता है, परंतु इसके लिए मंत्र जपने की एकलव्य – स्वरबन्ध क्रिया होती है, जिसका वर्णन पुस्तक में नहीं किया जा सकता है इसे केवल मंत्र दीक्षा देते समय केवल गुरु प्रदान करता है। इनमें जप के समय की मुद्रा, प्रकाश, दीपक आदि का सूक्ष्म निर्देश होता है। परंतु जिज्ञासु पाढ़कों की कल्याण भावना को ध्यान में रखते हुये पुस्तक में इन बातों का विवरण दिया जाता है।

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